Jane: Baccha Kaise Hota Hai
बच्चा होने के लिए पुरुष का वीर्य और महिला का अंडाशय
आवश्यक होते हैं। पुरुष के वीर्य में शुक्राणु होते हैं जो एक महिला के अंडाशय में
जा कर उसके बीज और अंडे को जोड़ते हैं।
यदि महिला अंडाशय में एक अंडा उत्पन्न करती है और
पुरुष के वीर्य में एक शुक्राणु शामिल होता है, तो उन्हें जोड़ कर गर्भ निर्माण होता है। गर्भावस्था के दौरान
बच्चा माँ के गर्भ में बढ़ता है और अंत में जन्म लेता है।
गर्भावस्था में महिला के शरीर में कई बदलाव होते
हैं जो बच्चे को संभालने में मदद करते हैं। इस दौरान महिला को अपने खान-पान और दिनचर्या
पर ध्यान देने की जरूरत होती है ताकि वह स्वस्थ रह सके और उसके बच्चे को स्वस्थ विकास
के लिए सही पोषण मिल सके।
बच्चा पैदा होने के बाद महिला के शरीर में फिर भी
कुछ समय तक लोचिया नाम का रक्तस्राव होता है जो शरीर से अवशोषित होता है। इस दौरान
महिला को साफ़ सुथरा रखना बहुत ज़रूरी होता है ताकि उसके शरीर में कोई संक्रमण न हो
जाए।
बच्चे को जन्म देने के बाद मां को बच्चे की देखभाल
करनी होती है। नवजात शिशु को नियमित खिलाया-पिलाया करना होता है और उसकी साफ-सुथरी
रखवाल करना होता है। नवजात शिशु को नियमित खाने की ज़रूरत होती है ताकि उसका वजन ठीक
से बढ़ सके और उसकी सही विकास और ग्रोथ हो सके।
बच्चे को दूध माँ का ही देना चाहिए ताकि उसे सही
पोषण मिल सके और उसका वजन ठीक से बढ़ सके। ध्यान रखना ज़रूरी होता है कि शिशु का दूध
कभी भी जर्दी नहीं देना चाहिए। शिशु को नींद की भी ज़रूरत होती है ताकि उसके शरीर में
सही मात्रा में हार्मोन बनते रहें और उसकी सही विकास और ग्रोथ हो सके।
शिशु को नियमित दिन की रोशनी में रखना बहुत ज़रूरी
होता है। शिशु को नहलाना भी ज़रूरी होता है ताकि उसकी साफ-सुथरी रखवाल की जा सके और
उसकी त्वचा स्वस्थ रहे।
शिशु को समय-समय पर वैक्सीनेशन दिलाना बहुत ज़रूरी
होता है ताकि उसको किसी भी बीमारी से सुरक्षा मिल सके। शिशु को अपनी उम्र के अनुसार
ठंडे-गर्म जल्दी समझना भी ज़रूरी होता है ताकि उसे कोई बीमारी न हो।
इस प्रकार नवजात शिशु की देखभाल बड़ी मेहनत और संयम
की ज़रूरत होती है। इससे शिशु का सही विकास होता है और वह स्वस्थ रहता है।