Honesty Is The Best Policy In Hindi | ईमानदारी सर्वोच्च नीति हैं

0

Honesty Is The Best Policy In Hindi | ईमानदारी सर्वश्रेष्ठ नीति है, जानिए कैसे और क्यों?

Honesty Is The Best Policy In Hindi




ईमानदारी सर्वोच्च नीति हैं  इससे जुड़ी एक कहानी आपके लिए लिखी गई हैं साथ ही अपने जीवन से जुड़ी एक बात आपसे शेयर की हैं|     


एक राहुल नाम का व्यक्ति था| स्वभाव से बहुत ही गंभीर था| उसकी पढाई पूरी हो चुकी थी लेकिन कोई नौकरी नहीं थी| दिन रात वो काम की तलाश में इधर – उधर भटकता रहता था| राहुल एक ईमानदार मनुष्य भी था इसलिये भी उसे काम मिलने में मुश्किल आ रही थी| दिन इतने ख़राब हो चुके थे कि उसे मजदूरी करनी पड़ी| रोजी रोटी के लिए उसके पास अब कोई विकल्प नहीं था| 


राहुल पढ़ा लिखा था जो उसके व्यवहार से साफ जाहिर होता था|     


एक दिन एक शेठ के घर राहुल मजदूरी कर रहा था| शेठ का ध्यान राहुल के उपर ही था| सेठ को समझ आ रहा था कि राहुल एक पढ़ा लिखा समझदार लड़का हैं लेकिन परिस्थती वश उसे ऐसे मजदूरी के काम करना पड़ रहा हैं| सेठ को अपने एक विशेष काम के लिए एक ईमानदार व्यक्ति की जरुरत थी| उसने राहुल की परीक्षा लेने की सोची|     


उसने एक दिन राहुल को अपने पास बुलाया और उसे पचास हजार रूपये दिए जिसमे सो- सो के नोट थे और कहा भाई तुम ईमानदार लगते हो ये पैसे मेरे एक व्यापारी को दे आओ| राहुल ने ईमानदारी से पैसे पहुँचा दिए|     


दुसरे दिन,     व्यापारी ने राहुल को फिर से पैसे दिए इस बार उसने राहुल को बिना गिने पैसे दिए कहा खुद ही गिन लो और व्यापारी को दे आओ| राहुल ने ईमानदारी से काम किया|     


शेठ पहले से ही गल्ले में पैसे गिनकर रखता था पर वो राहुल की ईमानदारी की परीक्षा लेना चाहता था| रोज वो शेठ उसे पैसे देने भेजता था|     


राहुल की माली हालत तो बहुत ही ख़राब थी| एक दिन उसकी नियत डोल गयी और उसने सो रूपये चुरा लिए| जिसका पता शेठ को लग गया पर सेठ ने कुछ नहीं कहा| फिर से राहुल को रूपये देने भेजा| शेठ के कुछ न कहने पर राहुल की हिम्मत बढ़ गयी| उसने रोजाना चोरी शुरू कर दिया|     


शेठ को उम्मीद थी कि राहुल उसे सच बोलेगा लेकिन राहुल ने नहीं बोला| एक दिन शेठ ने राहुल को काम से निकाल दिया| वास्तव में शेठ अपने जीवन का एक सहारा ढूंढ रहा था| उसकी कोई संतान नहीं थी| राहुल को भोला भाला जानकर उसने उसकी परीक्षा लेने की सोची थी| अगर राहुल सच बोलता तो शेठ उसे अपनी दुकान सौप देता|  


जब राहुल को इस बात का पता चला हैं तो उसे बहुत दुःख हुआ और उसके स्वीकारा कि कैसी भी परिस्थती हो ईमानदारी ही सर्वोच्च नीति होती हैं|     


दोस्तों कैसा भी मुकाम आये व्यक्ति को ईमानदारी का साथ नहीं छोड़ना चाहिए| ईमानदारी जीवन की वो कमाई हैं जो मुश्किल हैं लेकिन कभी गलत अंत नहीं देती|     


मेरा ही एक उदहारण आपको देती हूँ| जब मैंने ब्लॉगिंग का काम शुरू किया तो मैं अपनी हर गलती अपने बॉस को बता देती थी| मैंने उनसे डांट के डर से कभी कुछ नहीं छिपाया| कभी कभी बहुत बड़ी- बड़ी गलतियाँ की और बहुत डांट भी खाई लेकिन कभी भी छिपाया नहीं उसका परिणाम यही रहा कि मेरे साथ काम शुरू करने वाले सभी लोगो को कुछ ही दिनों में हटा दिया गया लेकिन गलतियाँ करने के बावजूद मुझे कभी काम से नहीं हटाया| उल्टा मेरा काम और दायित्व आवश्यक्तानुसार बढ़ा दिए गये| मेरी इसी ईमानदारी के कारण मुझे रोज कुछ न कुछ नया सीखने मिलता हैं|     


मेरी गलतियों का सिलसिला आज भी बरकरार हैं जिसके कारण मुझे भी हटा दिया जा सकता हैं लेकिन ईमानदारी के कारण मेरी उन गलतियों को हँस कर टाल दिया जाता हैं|     


मेरे जीवन अनुभव के आधार पर मैं आप सभी से कहूँगी की ईमानदारी सर्वोच्च नीति हैं| आप सभी को प्राण लेना चाहिए कैसी भी परिस्थती हो लेकिन ईमानदारी का दामन कभी ना छोड़े| 

Tags

Post a Comment

0 Comments
Post a Comment (0)
To Top