वाहन बीमा में आईडीवी क्या
होता है? IDV: फुल फॉर्म, अर्थ और गणना का फॉर्मूला
क्या आप जानते हैं कि आपकी
गाड़ी चोरी हो जाने पर, कितना बीमा मिलेगा? या किसी हादसे में गाड़ी पूरी तरह नष्ट हो जाने पर, उसके लिए बीमा कंपनी कितना मुआवजा देगी? इन दोनों प्रश्नों का एक ही उत्तर है-IDV
यानी कि Insured Declared Value. आपकी गाड़ी का IDV जितना अधिक होता है उसका मुआवजा उतना ज्यादा बीमा कंपनी देती
है। इस लेख में हम जानेंगे कि वाहन बीमा में IDV क्या होती है? इसका कैसे निर्धारण होता है? What in IDV in
Vehicle Insurance in Hindi.
वाहन बीमा में IDV
क्या होता है?
IDV का फुल फॉर्म होता है-Insured
Declared Value
IDV का हिंदी में मतलब होता है-बीमायुक्त (वाहन) का घोषित मूल्य
किसी बीमायुक्त गाड़ी के
खो जाने पर या किसी हादसे में पूरी तरह बेकार हो जाने पर, जो बीमा की रकम मिलती है, वह उस गाड़ी की IDV (Insured Declared
Value) के बराबर होती है। ऐसा इसलिए
होता है,
क्योंकि, जब आप किसी गाड़ी का कंप्रीहेंसिव बीमा कराते हैं तो बीमा कंपनी
उस गाड़ी की मौजूदा कीमत का आकलन कराती है।
बीमा पॉलिसी में इसे उस गाड़ी की Insured Declared Vaule
(IDV) के रूप में दर्ज किया जाता है। जानें:
कांप्रिहेंसिव इंश्योरेंस क्या होता है?| इसके क्या फायदे हैं
किसी वाहन की IDV
तय करने का फॉर्मूला: किसी भी नई गाड़ी की IDV
तो उसकी शोरूम कीमत के बराबर ही रखी जाती है, लेकिन जैसे-जैसे गाड़ी पुरानी होती जाती है, उसकी IDV या बाजार कीमत कम निर्धारित की जाती है। किसी गाड़ी की IDV कितनी निर्धारित होगी। इसके लिए एक निश्चित फॉर्मूला होता है।
नीचे दी गई तालिका में, आप IDV
की गणना करने का फॉर्मूला देख सकते हैं। ई तालिका (Table)
के हिसाब से होता है।
वाहन की उम्र (Age of Vehicle) |
वाहन के मूल्य में कमी का प्रतिशत (% of Depreciation) |
वाहन की बाजार कीमत या IDV (Insured
declared Value) |
6 महीने से कम पुराना वाहन |
5% |
एक्स शोरूम कीमत के 95% के बराबर IDV तय होगी |
6 महीने से 1 साल के बीच पुराना वाहन |
15% |
एक्स शोरूम कीमत के 85 %
के बराबर IDV तय होगी |
1 साल से ज्यादा और 2 साल से कम पुराना वाहन |
20% |
एक्स शोरूम कीमत के 80% के बराबर IDV
तय होगी |
2 साल से अधिक व 3 साल से कम पुराना वाहन |
30% |
एक्स शोरूम कीमत के 70% के बराबर IDV तय होगी |
3 साल से अधिक और 4 साल से कम पुराना वाहन |
40% |
एक्स शोरूम कीमत के 60 % के बराबर IDV तय होगी |
4 साल से अधिक व 5 साल से कम पुराना वाहन |
50% |
एक्स शोरूम कीमत के 50% के बराबर IDV तय होगी |
IDV तय करने में किन-किन चीजों का असर पड़ता है?
अलग-अलग कंपनी के अलग-अलग
मॉडल वाली गाड़ीं की IDV तय करने में तीन चीजें मुख्य रूप से आधार बनाई जाती हैं
वाहन की शोरूम खरीद कीमत
क्या थी,
पहली बार बिक्री में
वाहन कितना पुराना हो चुका
है,
(Depreciation कितना हुआ है)
वाहन में अलग से जो सामान
लगाए गए हैं, उनकी कीमत
क्या थी?
इन तीन बातों को केंद्र में
रखते हुए,
IDV की गणना में आपसे कुछ जानकारियां मांगी
जाती हैं। आजकल Online ढेरों IDV Calculator गणना के लिए उपलब्ध हैं। IDV Calculator में आपको सामान्यत: निम्नलिखित जानकारियां भरनी होती हैं—
Vehicle Type: वाहन चारपहिया है या दोपहिया?
Name of State: किस राज्य में रजिस्टर्ड हुआ है?
Year of registration: कौन से वर्ष में रजिस्ट्रेशन हुआ है?
Month of registration: किस महीने में रजिस्ट्रेशन हुआ है?
Make of Vehicle: वाहन किस ब्रांड या कंपनी का है?
Model of Vehicle:
कंपनी के किस मॉडल का वाहन
है?
Variant of Model: उस मॉडल का कौन सा संस्करण है?
जीरो बैलेंस अकाउंट क्या
होता है?
कैसे खुलता है
आयुष्मान भारत योजना में
कौन-कौन सी बीमारी का इलाज होता है?
बीमा में IDV
निर्धारित करने की आवश्यकता क्यों पड़ती है?
वाहन के चोरी होने या मरम्मत
(repairs)
लायक न बच पाने पर, आखिर कितना मुआवजा (Compensation) मिलना चाहिए। इसके लिए कोई एक उपयुक्त तरीका या Formula
होना चाहिए। वरना, ग्राहक को ज्यादा से ज्यादा मूल्य चाहिए होगा और बीमा कंपनी
कम मूल्य देना चाहेगी।
इसमें विवाद का समाधान, पहले से एक मूल्य तय करने से हो जाता है, जोकि IDV के रूप में होता है। बीमा पॉलिसी लेते वक्त उस वाहन की IDV
निर्धारित हो जाती है। यह उसकी तात्कालिक बाजार कीमत के बराबर
रखी जाती है। बीमा क्लेम के निपटारे में मुआवजे (compensation) के लिए उसी IDV को आधार बनाया जाता है।
क्या 5 साल से अधिक पुराने वाहन की IDV
भी तय हो सकती है?
5 साल से
अधिक,
पुराने वाहन की IDV उसकी सर्विसिंग कंडीशन और body parts की स्थिति पर निर्भर करती
है। अलग-अलग मैटीरियल से बने सामानों की औसत कीमत लगाकर IDV
तय की जाती है। अक्सर यह बीमा कंपनी और बीमा ग्राहक के बीच आपसी
सहमति के आधार पर तय हो जाती है। कुछ कंपनियां IDV तय करने के लिए अपने सर्वेयर भेजती हैं। surveyor
का खर्च, बीमा करवाने वाले व्यक्ति को चुकाना पड़ता है।
वाहन की IDV
तय करने में उसके registration और insurance का खर्च नहीं जोड़ा जाता है। गाड़ी की साज-सज्जा में कंपनी की
तरफ से लगे सामान या सहायक उपकरणों (accessories) की कीमत शामिल रहती है। बाहर से लगवाई गई accessories
की कीमत अलग से जोड़ी जाती है। बीमा में इन्हें शामिल करने पर, प्रीमियम उसी के हिसाब से बढ़ जाता है।
IDV के हिसाब से ही तय होगा आपकी गाड़ी के बीमा का प्रीमियम
चूंकि यह आपके वाहन की बाजार
कीमत होती है, और आपके
क्लेम पर मिलने वाली रकम, बहुत कुछ IDV पर निर्भर
करती है। इसलिए वाहन बीमा का Premium तय करने में IDV सबसे बड़ा आधार होता है।
जितना ज्यादा आपके वाहन की IDV होगी, उतना ज्यादा उसका Premium भी भरना पड़ेगा। इसी तरह कम IDV होने पर, उसका Premium भी कम भरना पड़ेगा। इसीलिए, कंपनी के बीमा प्रीमियम रेट के साथ-साथ यह भी ध्यान दें कि बीमा
कंपनी ने आपके वाहन की IDV क्या तय की है। कहीं ऐसा तो नहीं कि Premium की रकम कुछ कम करके वह आपके वाहन की IDV
बहुत ज्यादा कम कर रही हो।